Monday 19 December 2016

भारतेंदु हरिशचंद्र की जीवनी – Bhartendu Harishchandra Biography In Hindi

Bhartendu Harishchandra – भारतेंदु हरिशचंद्र आधुनिक हिंदी साहित्य और साथ ही हिंदी साहित्य के जनक के नाम से जाने जाते है। आधुनिक भारत के सबसे प्रभावशाली हिंदी लेखको में से वे एक है। वे एक सम्मानित कवी भी है। वे बहुत से नाटको के लेखक भी रह चुके थे। अपने कार्यो में उन्होंने सामाजिक राय के लिए रिपोर्ट, पब्लिकेशन, ट्रांसलेशन और मीडिया जैसे सभी उपकरणों का उपयोग किया था।

भारतेंदु हरिशचंद्र की जीवनी – Bhartendu Harishchandra Biography In Hindi


 वे अपने उपनाम “रसा”, से कोई भी लेख लिखते थे, हरिशचंद्र ने अपने लेखो में लोगो की व्यथा, देश की कविता,  निर्भरता, अमानवीय शोषण, मध्यम वर्गीय लोगो की अशांति और देश के विकास में बाधा को दर्शाया था। वे एक  प्रभावशाली हिन्दू “परंपरावादी” थे जिन्होंने वैष्णव भक्ति के उपयोग से हिन्दू धर्म की व्याख्या की थी।
जीवनी –
बनारस में जन्मे भारतेंदु हरिशचंद्र के पिता गोपाल चंद्र थे, जो एक कवी थे। वे अपने उपनाम गिरधर दास के नाम से लिखते थे। भारतेंदु के माता-पिता की मृत्यु जब वे युवावस्था में थे तभी हो गयी थी लेकिन उनके माता-पिता के भारतेंदु पर काफी प्रभाव पड़ चूका था। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने बताया की कैसे भारतेंदु ओड़िसा में पूरी के जगन्नाथ मंदिर अपने परिवार के साथ 1865 में गये थे, जब वे आयु के सिर्फ 15 वे साल में थे। इस यात्रा के समय बंगाल पुनर्जागरण काल का उनपर काफी प्रभाव पड़ा और तभी उन्होंने सामाजिक, इतिहासिक और पौराणिक नाटको और हिंदी उपन्यासों की रचना करने का निर्णय लिया था। इसी प्रभाव के चलते उन्होंने 1868 में बंगाली नाटक विद्यासुंदर का रूपांतर हिंदी भाषा में किया था।
भारतेंदु ने अपना पूरा जीवन हिंदी साहित्य के विकास में व्यतीत किया। लेखक, देशभक्त और आधुनिक कवी के रूप में उन्हें पहचान दिलाने के उद्देश्य से 1880 में काशी के विद्वानों ने सामाजिक मीटिंग में उन्हें “भारतेंदु” की उपाधि दी थी। प्रसिद्ध साहित्यिक आलोचक राम विलास शर्मा ने भी उन्हें हिंदी साहित्य का सबसे प्रभावशाली और आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक और नायक बताया।
जर्नलिज्म, ड्रामा और कवी के क्षेत्र में भी भारतेंदु हरिशचंद्र ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने कवी वचन सुधा जैसी पत्रिका को 1868 में एडिट किया था 1874 में उन्होंने अपने लेखो के माध्यम से देश के लोगो को देश में बने उत्पाद का उपयोग करते हुए स्वदेशी अपनाओ का नारा दिया था। इसके बाद 1873 में हरिशचंद्र ने पत्रिका और बाल वोधिनी में उन्होंने देश के लोगो को स्वदेशी वस्तुओ का उपयोग करने की प्रार्थना की थी। वे वाराणसी के चौधरी परिवार के भी सदस्य थे, जो अग्रवाल समुदाय से संबंध रखते थे। उनके पूर्वज बंगाल के लैंडलॉर्ड थे। उन्हें एक बेटी भी है। उन्होंने अग्रवाल समुदाय के विशाल इतिहास को भी लिखा है।
1983 से मिनिस्ट्री ऑफ़ इनफार्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग भारत में हिंदी भाषा के विकास के लिए भारतेंदु हरिशचंद्र अवार्ड दे रहा है।
नाटक –
भारतेंदु हरिशचंद्र ने कलाकार के रूप में थिएटर में प्रवेश किया था और जल्द ही वे डायरेक्टर, मेनेजर और नाटककार भी बने गये। उन्होंने थिएटर का उपयोग जनता की राय लेने के लिए किया था। उनके मुख्य नाटक इस प्रकार है –
• वैदिकी हिमसा हित्न्सा ना भवती, 1873
• जब्बलपुर
• भारत दुर्दशा, 1875
• पौराणिक सत्य हरिशचंद्र (सच्चा हरिशचंद्र), 1876
• नील देवी, 1881
• अंधेर नगरी, 1881
आधुनिक हिंदी नाटको में यह सबसे प्रसिद्ध नाटक है। जिसका रूपांतर भारत में बहुत से भाषाओ में भी किया गया है।
कविता –
• भगत सर्वज्ञ
• प्रेम मलिका (1872)
• प्रेम माधुरी (1875)
• प्रेम तरंग (1877), प्रेम प्रलाप, प्रेम फुहल्वारी (1883) और प्रेम सरोवर
• होली
• मधु मुकुल
• राग संग्रह
• वर्षा विनोद
• विनय प्रेम पचास्सा
• फूलो का गुच्छा
• चन्द्रावली, 1876 और कृष्णा चरित्र
• उतरार्ध भगत मल
और अधिक लेख:
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* कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भारतेंदु हरिशचंद्र के बारे में wikipedia से ली गयी है.

Wednesday 20 July 2016

भारतीय शूटर अभिनव बिंद्रा | Abhinav Bindra Biography In Hindi

अभिनव सिंह बिंद्रा – Abhinav Bindra एक भारतीय शूटर और 10 मी. एयर राइफल प्रतियोगिता के वर्ल्ड एवं ओलंपिक चैंपियन है। 2008 के बीजिंग ओलंपिक खेल की 10 मी. एयर राइफल में गोल्ड मेडल जीतने के बाद ओलंपिक खेलो में किसी एकल भारतीय द्वारा गोल्ड जीतने वाले वे पहले भारतीय है।


भारतीय शूटर अभिनव बिंद्रा – Abhinav Bindra Biography In Hindi

1980 में पुरुष हॉकी टीम के गोल्ड मेडल जीतने के बाद भारत के लिए यह मेडल था। एक ही समय में वर्ल्ड और ओलंपिक चैंपियन का टाइटल पाने वाले भी वे एकमात्र और पहले भारतीय है। 2006 में ISSF वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद उन्होंने 2008 के बीजिंग ओलंपिक खेल में भी गोल्ड मेडल जीत वर्ल्ड चैंपियनशिप का टाइटल अपने नाम किया था। अभिनव ने 2014 में ग्लासगो के कामनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया है।

2014 में अभिनव बिंद्रा गोस्पोर्ट फाउंडेशन, बंगलौर में सलाहकार समिति के सदस्य बनकर शामिल हो गए। गोस्पोर्ट फाउंडेशन के साथ मिलने के बाद उन्होंने भारत में खेलो को बढ़ावा दिया और अभिनव बिंद्रा शूटिंग डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत वे बहुत से होनहार शूटर की खोज में लगे रहे।
मई 2016 में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) ने अभिनव बिंद्रा को 2016 रिओ ओलंपिक गेम्स के लिए भारतीय उपमहाद्वीप का गुडविल एम्बेसडर नियुक्त किया।
प्रारंभिक साल –
अभिनव बिंद्रा – Abhinav Bindra का जन्म एक पंजाबी सिक्ख परिवार में हुआ था। चंडीगढ़ की सेंट स्टेफेन स्कूल जाने से पहले उन्होंने दो साल तक द दून स्कूल में प्राथमिक शिक्षा हासिल की। बाद में सन 2000 में वे स्टेफेन कॉलेज से ही ग्रेजुएट हुए। उनके माता-पिता ने पंजाब के पटियाला के अपने घर में इनडोर शूटिंग रेंज स्थापित कर रखी थी। उनके विश्वसनीय सलाहकार डॉ. अमित भट्टाचार्यजी थे, जो बहुत समय से उनसे जुड़े हुए थे और बचपन से ही अभिनव भी उन्हें देखते आ रहे थे। अभिनव के अंदर शूटिंग के हुनर को सबसे पहले उनके सलाहकार भट्टाचार्यजी और Lt.Col. ढिल्लों ने ही पहचाना था। 2000 के ओलंपिक खेलो में भारतीय प्रतियोगियों में अभिनव बिंद्रा सबसे युवा थे। उनके वर्तमान कोच स्विट्ज़रलैंड के बसेल से पाँच बार के ओलंपिक शूटर गब्रिएले बुह्ल्मान्न है। अभिनव ने उनके साथ ओलंपिक से पहले जर्मनी में अभ्यास किया था।
2000 के ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने 590 अंक प्राप्त कर क्वालिफिकेशन राउंड में 11 वे नंबर पर काबिज थे। लेकिन उन्हें फाइनल में जगह नही बनाते आयी क्योकि शीर्ष 8 को ही उस समय फाइनल में जगह दी जाती थी। नाराजगी भरे इस प्रदर्शन के बाद बिंद्रा ने कहा था की फ़िलहाल शूटिंग से रिटायर होने में उनकी कोई रूचि नही है।
बिज़नस करियर –
Abhinav Bindra ने यूनाइटेड स्टेट की कोलोराडो यूनिवर्सिटी से B.B.A  की उपाधि प्राप्त की है। बिंद्रा अभिनव फ्यूचरिस्टिक के सीईओ है। इसके साथ ही अभिनव ने सैमसंग, बीएसएनएल और सहारा समूह से स्पॉन्सरशिप भी ले रखी है। इसके साथ ही वे राज्य की स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड के ब्रांड एम्बेसडर और साथ ही फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) स्पोर्ट समिति के 2010 से सदस्य बने हुए है।
व्यक्तिगत जीवन –
हरपर स्पोर्ट ने उनकी आत्मकथा को भी प्रकाशित किया है, ए शॉट एट हिस्ट्री : माय ऑबेसिव जर्नी टु ओलंपिक गोल्ड (A Shot at History: My Obsessive Journey to Olympic Gold)। लेकिन 27 अक्टूबर 2011 को यूनियन स्पोर्ट मिनिस्टर अजय माकन ने नयी दिल्ली में एक कार्यक्रम में इसे रिलीज किया था।
अवार्ड और उपलब्धियाँ –
  • 2000 – अर्जुन अवार्ड
  • 2001 – राजीव गांधी खेल रत्न (भारत का सर्वोच्च खेल पुरस्कार)
  • 2009 – पद्म भुषण
  • 2011 – 2008 के ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद सम्माननीय लेफ्टिनेंट कर्नल अवार्ड दिया गया
  • मित्तल चैंपियन ट्रस्ट द्वारा 15 मिलियन (US$ 2,20,000) का पुरस्कार
  • केंद्र सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 5 मिलियन (US$ 74,000) की नगद राशी दी गयी
  • हरियाणा राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 2.5 मिलियन (US$ 37,000) की नगद राशी दी गयी
  • बोर्ड ऑफ़ कण्ट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया द्वारा पुरस्कार स्वरुप 2.5 मिलियन (US$ 37,000) की नगद राशी दी गयी
  • स्टील मिनिस्ट्री ऑफ़ इंडिया द्वारा 1.5 मिलियन (US$ 22,000) रुपयों की नगद राशी पुरस्कार स्वरुप दी गयी
  • बिहार राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1.1 मिलियन (US$ 16,000) की नगद राशी दी गयी।
  • कर्नाटक राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1 मिलियन (US$ 15,000) की नगद राशी दी गयी
  • गोल्ड जिम के चेयरमैन एस. अमोलक सिंह गखाल द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1 मिलियन (US$ 15,000) की नगद राशी दी गयी
  • महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1 मिलियन (US$ 15,000) की नगद राशी दी गयी
  • ओड़िसा राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 5,00,000 रुपये की नगद राशी दी गयी
  • तमिलनाडु राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 5,00,000 रुपये की नगद राशी दी गयी
  • छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1,00,000 रुपये की राशी दी गयी
  • मध्यप्रदेश राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1,00,000 रुपये की नगद राशी दी गयी पुरस्कार स्वरुप 1 मिलियन (US$ 15,000) की नगद राशी दी गयी
  • रेल्वे मिनिस्ट्री ऑफ़ इंडिया द्वारा फ्री लाइफटाइम रेल्वे पास दी गयी
  • केरला राज्य सरकार द्वारा गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया
  • पुणे म्युनिसिपल कारपोरेशन द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1.5 मिलियन (US$ 22,000) की नगद राशी दी गयी
उपलब्धियाँ –
  • 2001 म्युनिक वर्ल्ड कप में 600 में से 597 अंक पाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया और ब्रोंज मेडल भी जीता।
अभिनव का अर्थ होता है कुछ नया और उत्साह से भरा हुआ। अभिनव बिंद्रा में ने नाम के अनुरूप ही अपना नाम रोशन किया है। इतनी कम उम्र में शायद ही कोई खिलाडी इस मुकाम तक पंहुचा होगा। आज पूरा भारत इस महान शूटर पर गर्व करता है। भारत के युवाओ से उनसे कुछ सीखना चाहिए।
और अधिक लेख :-
  1. बॉक्सर मैरी कॉम की कहानी
  2. ग्रेट बॉक्सर विजेंदर सिंह
  3. फ्रीस्टाइल रेसलर सुशिल कुमार
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Monday 18 July 2016

कल्पना चावला की जीवनी – Kalpana Chawla Biography In Hindi

  Kalpana Chawla Photos

पूरा नाम     –  कल्पना जीन पियरे हैरिसन ( विवाहपूर्व – कल्पना बनारसी लाल चावला )
जन्म          –  17 मार्च 1962
जन्मस्थान –   करनाल, पंजाब, (जो अभी हरयाणा, भारत में है)
पिता          –  बनारसी लाल चावला
माता          –  संज्योथी चावला
विवाह        –  जीन पियरे हैरिसन ( Kalpana Chawla Husband )
कल्पना चावला पहली भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। 1997 में वह अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और 2003 में कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गये सात यात्रियों के दल में से एक थी।
भारत की बेटी – कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को करनाल, पंजाब, में हुआ जो अभी हरयाणा,भारत में है। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल, करनाल से और बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग) 1982 में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से पूरी की। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए 1982 में चली गयी और 1984 में वैमानिक अभियांत्रिकी (एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग) में विज्ञानं स्नातक की उपाधि टेक्सास विश्वविद्यालय आरलिन्गटन से प्राप्त की। फिर उन्होंने ने ठान लिया की उन्हें अन्तरिक्ष यात्री बनना है जबकि उस समय उनके जीवन में उस समय बहोत सी आपदाए आयी थी, 1986 में कल्पना जी ने दूसरी विज्ञानं स्नातक की उपाधि पायी और 1988 में कोलोराडो विश्वविद्यालय बोल्डर से वैमानिक अभियांत्रिकी में विद्या वाचस्पति (PhD) की उपाधि पायी।

कल्पना चावला करियर – Information About Kalpana Chawla Career In Space & Nasa

1988 के अंत में उन्होंने नासा (Nasa) के एम्स अनुसंधान केंद्र के लिए ओवेर्सेट मेथड्स इंक के उपाध्यक्ष के रूप में काम करना शुरू किया, उन्होंने वहा वी/एसटीओएल (Short Takeoff And Landing Concepts) में सीएफडी (Computational Fluid Dynamics) पर अनुसंधान किया। कल्पना जी को हवाई जहाजो, ग्लाइडरो व व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसो के लिए प्रमाणित उड़न प्रशिक्षक का दर्जा हासिल था। उन्हें एकल व बहु इंजन वयुयानो के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे। अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले वो एक सुप्रसिद्ध नासा की वैज्ञानिक थी।
अप्रैल 1991 में वे एक देशियकृत संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक बनी। कल्पना जी मार्च 1995 में नासा के अन्तरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुई और उन्हें 1996 में अपनी पहली उडान के लिए चुना गया था। अन्तरिक्ष के सफ़ेद आसमान की यात्रा करते समय ये शब्द उन्होंने कहे थे। “आप ये आप ही की बुद्धि का परिणाम हो”। कल्पना जी ने अपने पहले मिशन में 10.67 मिलियन किलोमीटर का सफ़र तय कर के, पृथ्वी की 252 परिक्रमाये की।
उनका पहला अन्तरिक्ष मिशन 19 नवम्बर 1997 को छह-अन्तरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अन्तरिक्ष शटल कोलंबिया की उडान एसटीएस-87 से शुरू हुआ। कल्पना जी अन्तरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारत में जन्मी महिला थी और अन्तरिक्ष में उड़ने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थी। राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत (Soyuz T-11) अन्तरिक्ष यान में उडान भरी थी। कल्पना जी ने अपने पहले मिशन में अन्तरिक्ष में 360 से अधिक घंटे बिताए। एसटीएस-87 के दौरान स्पार्टन उपग्रह को तैनात करने के लिए भी जिम्मेदारी थी, इस ख़राब हुए उपग्रह को पकड़ने के लिए विस्टन स्कॉट और तकाओ दोई को अन्तरिक्ष में चलना पड़ा था। पाच महीने की तफ्तीश के बाद नासा ने कल्पना चावला को इस मामले में पूर्णतया दोषमुक्त पाया, त्रुटिया तन्त्रांश व यान कर्मचारियो तथा जमीनी नियंत्रकों के लिए परिभाषित विधियों में मिली।
एसटीएस-87 की उदानोपरांत गतिविधियों के पूरा होने पर कल्पना जी ने अन्तरिक्ष यात्री कार्यालय में, तकनिकी पदों पर काम किया, उनके यहाँ के कार्यकलाप को उनके साथियों ने विशेष पुरस्कार दे के सम्मानित किया।
2000 में उन्हें एसटीएस-107 में अपनी दूसरी उड़ान के कर्मचारी के तौर पर चुना गया, यह अभियान लगातार पीछे सरकता गया, क्योकि विभिन्न कार्यो में नियोजित समय में टकराव होता रहा और कुछ तकनिकी समस्याये भी आयी जैसे जुलाई 2002 में शटल इंजन बहाव अस्तरो में दरारे। 16 जनवरी 2003 को कल्पना जी ने अंततः कोलंबिया पर चढ़ के विनाशरत एसटीएस-107 मिशन का आरम्भ किया। उनकी जिम्मेदारियों में शामिल थे स्पेसहेब और कुछ छोटे प्रयोग जिसके लिए कर्मचारी दल ने 80 प्रयोग किये, जिनके जरिये पृथ्वी व अन्तरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनिकी विकास व अन्तरिक्ष यात्री स्वास्थ व् सुरक्षा का अध्ययन हुआ।
कल्पना चावला मृत्यु – Kalpana Chawla Death :
1 फेब्रुअरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। देखते ही देखते अन्तरिक्ष यान और उसमे सवार सातो यात्रियों के अवशेष टेक्सास नमक शहर पर बरसने लगे और सफल कहलाया जाने वाला अभियान भीषण सत्य बन गया।
कल्पना चावला निच्छित ही आज के लडकियों की आदर्श है। आज की लडकियों को ये सोचना चाहिये की जब कल्पना चावला एक माध्यम वर्गीय परिवार से होने के बावजूद इतन सब कर सकती है तो वे क्यू नहीं? जिस समय भारत का तंत्रज्ञान ज्यादा मजबूत नहीं था, जिस समय लोगो को अन्तरिक्ष की समझ भी नहीं थी उस समय कल्पना चावला ने अन्तरिक्ष में जाके पुरे विश्व जगत में भारत का परचम लहराया।
पुरस्कार – Kalpana Chawla Award :
मरणोपरांत
1) कांग्रेशनल अंतरिक्ष पदक के सम्मान।
2) नासा अन्तरिक्ष उडान पदक।
3) नासा विशिष्ट सेवा पदक।
और पढ़े :- 
  1. सुनीता विलियम की जीवनी
  2. अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा
  3. चाँद का पहला यात्री – आर्मस्ट्रॉन्ग
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* कुछ महत्वपूर्ण जानकारी कल्पना चावला के बारे में Google से ली गयी है।

सुनीता विलियम की जीवनी | Sunita Williams Biography In Hindi


पूरा नाम     –  सुनीता माइकल जे. विलियम( विवाहपूर्व – सुनीता दीपक पांड्या)
जन्म          –  19 सितम्बर 1965
जन्मस्थान –  युक्लिड, ओहियो राज्य
पिता          –  डॉ. दीपक एन. पांड्या
माता          –  बानी जालोकर पांड्या
विवाह        –  माइकल जे. विलियम ( Sunita Williams Husband )

सुनीता विलियम की जीवनी / Sunita Williams Biography In Hindi

सुनीता विलियम अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के माध्यम से अंतरिक्ष जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला है। अंतरिक्ष में 7 बार जाने वाली (50 घंटे 40 मिनट स्पेसवॉक) वह पहली महिला है। वह अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन अभियान दल 14 और 15 की सदस्य भी रह चुकी है। 2012 में, उन्होंने अभियान दल 32 में फ्लाइट इंजिनियर बनकर और अभियान दल 33 में कमांडर बनकर सेवा की थी।
सुनीता लिन पांड्या विलियम का जन्म अमेरिका के ओहियो राज्य में युक्लिड (स्थित क्लीवलैंड) नगर में हुआ था। मैसाचुसेट्स से हाई स्कूल पास करने के बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की नौसेना अकादमी से फिजिकल साइंस में बीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की। बाद में उन्होंने फ्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में एम्एस की उपाधि हासिल की। उनके पिता डॉ. दीपक एन. पांड्या एक जाने माने तंत्रिका विज्ञानी (एमडी) है, जिनका संबंध भारत के गुजरात राज्य से है। उनकी माँ बानी जालोकर पांड्या स्लिवेनिया की है। उनका एक बड़ा भाई जय थॉमस पांड्या और एक बड़ी बहन डायना एन पांड्या है। जब सुनीता की आयु एक वर्ष से भी कम की थी तब उनके पिता अहमदाबाद से अमेरिका के बोस्टन आकर बस गये। हालाँकि बच्चे अपने दादा-दादी, ढेर सारे चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहनों को छोड़कर ज्यादा खुश नही थे, लेकिन उन्हें फिर भी जाना पड़ा। अगस्त 1988 में उनका अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में चयन हुआ और जॉनसन स्पेस सेंटर में प्रशिक्षण शुरू हुआ।

सूनिता ने ये घोषित किया की वे हिन्दू भगवान् गणेश को बहोत मानती है और जब वे अंतरिक्ष गयी थी तो वे अपने साथ हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ भगवद गीता भी ले गयी थी। इसके साथ ही सुनीता सोसाइटी ऑफ़ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट की सदस्य भी है।
उनका विवाह माइकल जे. विलियम से हुआ, वे नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परिक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक और गोताखोर भी है।
सितम्बर 2007 में विलियम भारत आयी थी। भारत में वह साबरमती आश्रम भी गयी और अपने गाव झुलसान (गुजरात) भी गयी। वहा गुजरात सोसाइटी ने उन्हें सरदार वल्लभभाई पटेल विश्व प्रतिभा अवार्ड से सम्मानित किया। और वह पहली ऐसी महिला बनी जिन्होंने विदेश में रहते हुए एक पुरस्कार को हासिल किया। 4 अक्टूबर 2007 को विलियम ने अमेरिकी एम्बेसी स्कूल में भाषण दिया और वही उनकी मुलाकात भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हुई।
सुनीता विलियम के सम्मान और पुरस्कार – Sunita Williams Awards :
1) नेवी एंड मैरिन क्रॉप अचीवमेंट मैडल।
2) ह्युमनीटेरियन सर्विस मैडल।
3) नेशनल डिफेन्स सर्विस मैडल।
4) नासा स्पेसफ्लाइट मैडल।
5) गवर्नमेंट ऑफ़ रशिया द्वारा 2011 में “स्पेस अभियान दल” में मेरिट आने के लिये मैडल।
6) भारत सरकार द्वारा 2008 में पद्म भूषण से नवाजा गया।
7) गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी द्वारा 201३ में डॉक्टरेट की उपाधि दी गयी।
8) स्लोवेनिया सरकार द्वारा सन 2013 में गोल्डन आर्डर फॉर मेरिट्स का सम्मान।
सुनीता विलियम “महिला एक व्यक्तित्व अनेक” की एक सच्ची कहानी है।
भारतीय मूल की अंतरिक्ष वैज्ञानिक सुनीता विलियम्स का नाम आज कौन नहीं जानता। यह नाम है एक ऐसा असाधारण महिला का, जिसके नाम अनेक रिकार्ड दर्ज हो चुके हैं। उन्होंने अंतरिक्ष में 194 दिन, 18 घंटे रहकर विश्व रिकार्ड बनाया। यह लेख उसी अप्रतिम महिला की असाधारण इच्छाशक्ति, दृढ़ता, उत्साह तथा आत्मविश्वास की कहानी है।उनके इन गुणों ने उन्हें एक पशु चिकित्सक बनने की महत्वाकांक्षा रखने वीली छोटी-सी बालिका के एक अंतरिक्ष-विज्ञानी, एक आदर्श प्रतिमान बना दिया। अंतरिक्ष में अपने छह माह के प्रवास के दौरान वे दुनियाभर के लाखों लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रहीं। सुनीता समुद्रों में तैराकी कर चुकी हैं महासागरों में गोताखोरी कर चुकी हैं, युद्ध और मानव-कल्याण के कार्य के लिए उड़ानें भर चुकी हैं, अंतरिक्ष तक पहुँच चुकी हैं और अंतरिक्ष से अब वापस धरती पर आ चुकी हैं और एक जीवन्त प्रेरणा का उदाहरण बन गई हैं।
पढ़े Indian Astronauts :-
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चाँद का पहला यात्री – आर्मस्ट्रॉन्ग | Neil Armstrong On The Moon

नील अल्डेन आर्मस्ट्रॉन्ग – Neil Armstrong एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और चाँद पर जाने वाले पहले इंसान थे। वे एक एरोस्पेस इंजीनयर, नौसेना विमान चालक, टेस्ट पायलट और यूनिवर्सिटी प्रोफेसर थे। अंतरिक्ष यात्री बनने से पहले आर्मस्ट्रॉन्ग यूनाइटेड स्टेट के नेवी ऑफिसर और कोरियाई युद्ध में सेवारत थे।

चाँद का पहला यात्री – आर्मस्ट्रॉन्ग | Neil Armstrong On The Moon

युद्ध के बाद पुरदुरे यूनिवर्सिटी से उन्हें बैचलर की उपाधि प्राप्त की और हाई स्पीड फ्लाइट स्टेशन नेशनल एडवाइजरी कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (NACA) में टेस्ट पायलट के पद पर सेवारत सेवा की । वहाँ उन्होंने तकरीबन 900 फ्लाइट टेस्ट की। बाद में यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथर्न कैलिफ़ोर्निया से उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा किया।
वे यूनाइटेड स्टेट एयर फ़ोर्स मैन (Man) स्पेस सूनेस्ट और X-20 Dyne-Soar ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम के सदस्य भी थे। 1962 में आर्मस्ट्रॉन्ग नासा के एस्ट्रोनॉट कॉर्प्स में शामिल हुए थे। 8 मार्च 1966 को कमांड पायलट के रूप में उन्होंने अपनी पहली स्पेस फ्लाइट उड़ाई थी। उस समय वे नासा के पहले अंतरिक्ष यात्री बने थे। पहली बार उन्होंने पायलट डेविड स्कॉट के साथ उड़ान भरी थी। लेकिन उनकी यह उड़ान बाद में रद्द कर दी थी।
आर्मस्ट्रांग की दूसरी और अंतिम स्पेसफ्लाइट कमांडर के रूप में अपोलो 11 थी, पहली फ्लाइट जुलाई 1969 को चाँद पर उतरी थी। आर्मस्ट्रांग और चन्द्रमा मोड्यूल पायलट बज्ज एल्ड्रिन चन्द्रमा की सतह पर अवतरित हुए थे और उन्होंने पुरे 2.30 घंटे स्पेस क्राफ्ट के बाहर बिताये थे, जबकि माइकल कॉलिंस चन्द्रमा ऑर्बिट में ही सर्विस मोड्यूल में थे। कॉलिंस और एल्ड्रिन के साथ आर्मस्ट्रांग को प्रेसिडेंट रिचर्ड निक्सन ने प्रेसिडेंशल मेडल ऑफ़ फ्रीडम अवार्ड से सम्मानित भी किया गया था। प्रेसिडेंट जिमी कार्टर ने 1978 में आर्मस्ट्रांग को कांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ़ हॉनर से सम्मानित भी किया था। आर्मस्ट्रांग और उनके पुराने सहकर्मियों को भी 2009 में कांग्रेशनल गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था।
कोरोनरी बाईपास सर्जरी करवाने के बाद 82 साल की उम्र में 25 अगस्त 2012 को उनकी मृत्यु हो गयी थी।
प्रारंभिक जीवन –
नील आर्मस्ट्रांग – Neil Armstrong का जन्म 5 अगस्त 1930 को औग्लैज़ देश में ऑहियो के वापकोनेता में हुआ था। उनके पिता का नाम स्टेफेन कोएँग़ आर्मस्ट्रांग और माता का नाम वाइला लौईस एंगेल था। वे एक स्कॉटिश, आयरिश और जर्मन वंशज थे और उनके दो छोटे भाई जून और डीन भी है। ऑहियो राज्य सरकार के लिए उन्हें ऑडिटर का काम भी किया है। आर्मस्ट्रांग का जन्म होने के बाद उनका परिवार बार-बार उसी राज्य में घर बदलता रहा। बचपन से ही नील में उडान भरने की रूचि थी, वे बहोत सी एयर रेस में भी भाग लेते थे। जब वे सिर्फ पाँच साल के थे तभी उन्होंने 20 जुलाई 1936 को फोर्ड त्रिमोटर में पहली एयरप्लेन फ्लाइट का अनुभव लिया था।
अंतिम बार उनका परिवार 1944 में बसा था, उस समय उनका परिवार नील के जन्मस्थान वापकोनेता में रहने लगा था। फ्लाइंग का अभ्यास करने के लिए आर्मस्ट्रांग ग्रास्सी वापकोनेता एयरफील्ड में ब्लुमे हाई स्कूल जाते थे। अपने 16 वे जन्मदिन पर उन्हें पहला स्टूडेंट फ्लाइट सर्टिफिकेट भी मिला था। इसके बाद उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस भी मिला। आर्मस्ट्रांग एक सक्रीय विद्यार्थी थे और उन्हें ईगल स्काउट की पदवी भी दी गयी थी। किशोरावस्था में ही उन्होंने बहोत से ईगल स्काउट अवार्ड अर्जित किये और साथ ही उन्हें सिल्वर बफैलो अवार्ड भी मिला था। 18 जून 1969 को चन्द्रमा की यात्रा करते समय कोलंबिया में आर्मस्ट्रांग ने स्काउट को कहा था की, “मै अपने सभी सहकर्मी स्काउट को हेल्लो कहना चाहता हु और यात्रा के लिए सभी का अभिनंदन करना चाहता हु, अपोलो 11 निश्चित ही हमारी इच्छाओ पर खरा उतरेगा।”
1947 में 17 साल की आयु में आर्मस्ट्रांग ने एयरोनॉटिकल इंजिनियर की पढाई पुर्दुर यूनिवर्सिटी से ग्रहण करना शुरू की। कॉलेज जाने वाले वे उनके परिवार के दुसरे इंसान थे। पढने के लिए उन्होंने मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (MIT) को भी अपना लिया था। आर्मस्ट्रांग का मानना था की हम कही भी पढ़कर अच्छे से अच्छी शिक्षा हासिल कर सकते है।
होलीवे (Hollyway) प्लान के तहत ही उनकी ट्यूशन फीस दी जाती थी। वहा उन्होंने तक़रीबन 2 साल पढाई कि और दो सालो तक फ्लाइट ट्रेनिंग भी ली और एक साल तक US नेवी में कार्यरत रहे और वही से उन्होंने बैचलर की डिग्री भी हासिल की। वहा कैंडिडेट को लिखकर देना होता था की ग्रेजुएशन होने तक वह शादी नही करेगा ताकि कैंडिडेट अच्छी तरह से अपने काम में ध्यान लगा सके और तक़रीबन दो साल तक उन्हें वहा कोई प्रमोशन भी नही दिया जाता था।
चन्द्रमा पर लैंडिंग (Neil Armstrong Moon Landing)
1969 में आर्मस्ट्रांग को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। माइकल कॉलिंस और एडविन इ. बज्ज एल्ड्रिन के साथ वे नासा के पहले चन्द्र मिशन का हिस्सा बने हुए थे। 16 जुलाई 1969 को उनकी तिकड़ी अंतरिक्ष पहुची। मिशन कमांडर आर्मस्ट्रांग ने 20 जुलाई 1969 को चन्द्रमा की सतह पर लैंडिंग की थी। लेकिन उनके सहकर्मी कॉलिंस कमांड मोड्यूल में ही बैठे थे।
10.56 PM को आर्मस्ट्रांग चन्द्रमा मोड्यूल से बाहर निकले थे। उन्होंने कहा था, “इंसान का यह छोटा सा कदम, मानवी जाती के लिए एक बहुत बड़ी छलांग है।” उन्होंने ही चद्रमा पर अपना पहला कदम रखा था। तक़रीबन 2.30 घंटे तक नील और एल्ड्रिन ने चन्द्रमा के कुछ सैंपल (Sample) जमा किया और उनपर प्रयोग भी किया। उन्होंने बहुत से फोटो भी निकाले जिनमे उनके खुद के पदचिन्हों का फोटो भी शामिल है।
24 जुलाई 1969 को अपोलो 11 से वे वापिस आये थे और हवाई के पेसिफिक वेस्ट ओसियन पर उन्होंने लैंडिंग की थी। इसके बाद तीन हफ्तों तक तीन अंतरिक्ष यात्रियों को संगरोध पर भेजा गया था।
धरती पर वापिस लौटने के बाद तीनो अंतरीक्ष यात्रियों की काफी तारीफ की गयी थी और उनका स्वागत भी किया गया था। उनके सम्मान में न्यू यॉर्क शहर में एक परेड भी रखी गयी थी। अपने अतुलनीय कार्यो के लिए आर्मस्ट्रांग को बहुत से प्रशंसनीय अवार्ड मिले है जिसमे कांग्रेशनल स्पेस मेडल भी शामिल है।
यह भी पढ़े :
  1. सुनीता विलियम की जीवनी
  2. अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा
Please Note :- अगर आपके पास Neil Armstrong Biography In Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे।
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Saturday 16 July 2016

Sunil Gavaskar biography – सुनील गावस्कर जीवनी

 Sunil Gavaskar

पूरा नाम    – सुनील मनोहर गावस्कर.
जन्म         – 10 जूलाई, 1949.
जन्मस्थान  – मुंबई (महाराष्ट्र).
पिता        – मनोहर गावस्कर.
माता       – मिनल गावस्कर
विवाह     – मार्शनील के साथ. ( Sunil Gavaskar wife – Marshneil Gavaskar )

कॉलेज में ही  एक अच्छे क्रिकेट खिलाडी होने की प्रतिभा को उन्होंने (Sunil Gavaskar) सिध्द कर दिया था, वे सबसे सफल बल्लेबाज माने जाते थे | 1971 में उन्हें वेस्टइंडीज के ऐतिहासिक दौरे के लिए टैस्ट टीम में चुना गया था | वे अकेले ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने वेस्टइंडीज के विरुद्ध 27 टैस्टों में 2749 रन, इंग्लैंड के विरुद्ध 38 टैस्टों में 2483 रन, पाकिस्तान के विरुद्ध 24 टैस्टों में 2089 रन और आस्ट्रेलिया के विरुद्ध 20 टैस्टों में 1550 रन बनाये |
क्रिकेट के मैदान में अपने अदभुत प्रदर्शन और रिकॉर्ड तोड़ने के कारण वे विश्व के श्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं | उन्होंने  34 शतक बनाकर डॉन ब्रेडमेन का रिकॉर्ड तोड़ा | उन्होंने 10,000 रन बनाये, जो किसी बल्लेबाज व्दारा बनाये गए सबसे ज्यादा रन हैं | सुनील विश्व के अकेले ऐसे बल्लेबाज हैं, जिन्होंने एक क्रिकेट-वर्ष में टिन बार 1000 रन बनाये | उनके कुशल नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने कई महत्वपूर्ण विजयें प्राप्त कीं जिनमें से ‘एशियाकप’ व ‘बेन्सन एंड हेजेस विश्वकप’ प्रमुख हैं | उन्होंने 125 टेस्ट मैच खेले |
एक प्रारंभिक बल्लेबाज के रूप में सुनील ने लिली, थॉम्सन, मार्शल, माइकेल होल्डिग और इमरान जैसे तेज गेंदबाजों का उसी तेजी से जवाब दिया, उन पर शतक ठोके | सुनील गावस्कर विश्व क्रिकेट के गौरव है | सुनील गावस्कर तुम पर हम भारतीयों को गर्व है |
अवार्ड्स    :-
1) 1975 में ‘अर्जून’पुरस्कार.
2) 1980 में ‘पदमभूषण’ और
3) 1980 में ‘विस्डेन’ पुरस्कार.
किताबे   :-
1) ‘सनिडेज’,
2) ‘आइडल्स’,
3) ‘रन्स एंड रुइन्स’,
4) ‘वन डे वन्डर’.
सुनील गावस्कर के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :-
Sunil Gavaskar height :-  1.65 m
sunil gavaskar son  :- Rohan Gavaskar
यह भी पढिये :-  कपिल देव की जीवनी
यह भी पढिये :-  पी. टी. उषा जीवन परिचय
Note :-  आपके पास About Sunil Gavaskar in Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट मै लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे. धन्यवाद. कुछ महत्त्व पूर्ण जानकारी Biography of Sunil Gavaskar के बारे में Wikipedia ली गयी है.
अगर आपको life history of Sunil Gavaskar in Hindi language अच्छी लगे तो जरुर हमें whatsApp status और facebook  पर share कीजिये.
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Kapil Dev Biography In Hindi – कपिल देव की जीवनी

kapil dev images

पूरा नाम   – कपिलदेव रामलाल निखंज.
जन्म        – 6 जनवरी, 1959.
जन्मस्थान    – चंडीगढ़ (पंजाब).
पिता        –  रामलाल. निखंज.
माता        –  राजकुमारी लाजवंती.
विवाह      –  रोमी भाटिया के साथ.


कपिल देव की जीवनी – Kapil Dev Biography In Hindi

दुनिया में भारत को क्रिकेट में पहचान देना का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो कपिल देव को क्योकि 1983 में जब World Cup भारत ने जीता तो पूरी दुनिया में भारत का जयजयकार हुआ और ये हुआ कपिल देव के कारण और तभी से भारत में भी क्रिकेट को लोग जानेने ओर पसंद करने लगे, कपिल के खेल को देखकर ही युवा पीढ़ी को क्रिकेट के बारे में चाह बढ़ने लगी.
1975 में प्रथम श्रेणी के क्रिकेट में कपिल देव ने प्रवेश किया. उन्होंने सन 1978 में, पाकिस्तान में प्रथम टेस्ट मैच खेला. सचिन तेंदुलकर से पहले कपिल ही ऐसे सबसे छोटी उम्र के बल्लेबाज थे जिन्होंने 1979 में, दिल्ली में, वेस्टइंडीज के विरुध्द खेलते हुये 126 रन बनाये और नाटआउट रहे.
भारतीय क्रिकेट दल में माध्यम तीव्र गति के गेंदबाजों की कामी को कपिल देव ने काफी हद तक दूर किया. उन्होंने अपनी प्रभावशाली मध्यम गति की तेज गेंदबाजी और बल्लेबाजी से जिन बुलंदियों को छुआ वह प्रशंसा के योग्य है.
30 जनवरी, 1994 को बंगलौर टेस्ट में श्रीलंका के विरुध्द खेलते हुये कपिल देव 431 विकेटें लेकर न्यूजीलैंड के सर रिचर्ड हैडली की बराबरी पर आ खड़े हुए.
“तुम्हारी योग्यता और अलौकिक संकल्प शक्ति का पुरस्कार है यह,” ये शब्द लिखे थे कपिल की उपलब्धि पर, बधाई संदेश में, सर रिचर्ड हैडली ने.
कपिल देव ने ‘बाई गॉड्स डिक्री’ इस नाम से अपनी आत्मकथन लिखी. विश्व में जाने-माने आलराउंडर के क्रिकेट जीवन की शुरुआत उस समय हुई, जब 16 सेक्टर की टीम में एक खिलाड़ी कम हो गया था. किसी को क्या पता था की खानापूर्ति के लिए जिसे टीम में लिया जा रहा है, वह कपिल क्रिकेट के विश्वमंच पर दिन सबसे कम समय में 100 विकेटें लेने वाला खिलाड़ी ही नहीं बनेगा, चमत्कारिक रूप से 129 टेस्ट मैचों में 5,226 रन और 431 विकटें लेने जैसी उपलब्धियों को हासिल करने वाला पहला भारतीय आलराउंडर होगा.
भारतीय क्रिकेट टीम को सन 1983 में एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट श्रुंखला में विश्वविजेता बनाने का श्रेय कपिलदेव को है. विश्वकप में उनके व्दारा बनाने गये 175 रनों की ऐतिहासिक पारी क्रिकेट जगत में स्वर्णित अक्षरों में अंकित हो गयी है.
  • सुनील गावस्कर जीवनी
कपिल देव के बारे मे कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :-
Kapil Dev age :- ( age 56 ) ये तारीख 2015 के अनुसार है.
kapil dev height  :-  1.83 m ये जानकारी विकिपीडिया से ली गयी है.
kapil dev wife  :- कपिल देव की पत्नी का नाम रोमी भाटिया ( Romi Bhatia ).
kapil dev daughter  बेटी का नाम :-  कपिल देव के बेटी का नाम अमिया देव (Amiya Dev).
Kapil Dev Awards – कपिल देव पुरस्कार :-
* 1979-1980 – अर्जुन अवार्ड.
* 1982    – पदमश्री.
* 1983    – wisten cricketor of the year.
* 1991    – padma bhushan.
* 2002   – wisden indian cricketer of the century.
* 2010   – ICC cricket Hall of fame.
* 2013   – The 25 Greatest Global living Legends इन india By NDTV.
* 2013   – ck. Nayudu life time Achivement award Cannounceal.
कपिल देव की क्रिकेट में महत्वपूर्ण कार्य :-
कपिल के  कुल 131 टेस्ट मैच के बारे में :
बल्लेबाजी के बारे में : 5248 रन, 08 शतक और 27 अर्धशतक. ( 31.05 औसत से किये )
गेंदबाजी के बारे में : 434 विकेट, पारी में 05 विकेट 23 बार
कपिल देव के एकदिवसीय मैच के बारे में
कपिल के  कुल 225 टेस्ट मैच के बारे में :
बल्लेबाजी के बारे में : 3783 रन, एक शतक, 14 अर्धशतक
गेंदबाजी के बारे में :  253 विकेट, 1 बार पांच विकेट
  • पी. टी. उषा जीवन परिचय
  • दी वर्ल्ड कप हीरो युवराज सिंह
Note :-  आपके पास About Kapil Dev in Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे. धन्यवाद….  कुछ महत्त्व पूर्ण जानकारी biography of kapil dev के बारे में Wikipedia ली गयी है.
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Kapil Dev Biography In Hindi – कपिल देव की जीवनी

kapil dev images

पूरा नाम   – कपिलदेव रामलाल निखंज.
जन्म        – 6 जनवरी, 1959.
जन्मस्थान    – चंडीगढ़ (पंजाब).
पिता        –  रामलाल. निखंज.
माता        –  राजकुमारी लाजवंती.
विवाह      –  रोमी भाटिया के साथ.


कपिल देव की जीवनी – Kapil Dev Biography In Hindi

दुनिया में भारत को क्रिकेट में पहचान देना का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो कपिल देव को क्योकि 1983 में जब World Cup भारत ने जीता तो पूरी दुनिया में भारत का जयजयकार हुआ और ये हुआ कपिल देव के कारण और तभी से भारत में भी क्रिकेट को लोग जानेने ओर पसंद करने लगे, कपिल के खेल को देखकर ही युवा पीढ़ी को क्रिकेट के बारे में चाह बढ़ने लगी.
1975 में प्रथम श्रेणी के क्रिकेट में कपिल देव ने प्रवेश किया. उन्होंने सन 1978 में, पाकिस्तान में प्रथम टेस्ट मैच खेला. सचिन तेंदुलकर से पहले कपिल ही ऐसे सबसे छोटी उम्र के बल्लेबाज थे जिन्होंने 1979 में, दिल्ली में, वेस्टइंडीज के विरुध्द खेलते हुये 126 रन बनाये और नाटआउट रहे.
भारतीय क्रिकेट दल में माध्यम तीव्र गति के गेंदबाजों की कामी को कपिल देव ने काफी हद तक दूर किया. उन्होंने अपनी प्रभावशाली मध्यम गति की तेज गेंदबाजी और बल्लेबाजी से जिन बुलंदियों को छुआ वह प्रशंसा के योग्य है.
30 जनवरी, 1994 को बंगलौर टेस्ट में श्रीलंका के विरुध्द खेलते हुये कपिल देव 431 विकेटें लेकर न्यूजीलैंड के सर रिचर्ड हैडली की बराबरी पर आ खड़े हुए.
“तुम्हारी योग्यता और अलौकिक संकल्प शक्ति का पुरस्कार है यह,” ये शब्द लिखे थे कपिल की उपलब्धि पर, बधाई संदेश में, सर रिचर्ड हैडली ने.
कपिल देव ने ‘बाई गॉड्स डिक्री’ इस नाम से अपनी आत्मकथन लिखी. विश्व में जाने-माने आलराउंडर के क्रिकेट जीवन की शुरुआत उस समय हुई, जब 16 सेक्टर की टीम में एक खिलाड़ी कम हो गया था. किसी को क्या पता था की खानापूर्ति के लिए जिसे टीम में लिया जा रहा है, वह कपिल क्रिकेट के विश्वमंच पर दिन सबसे कम समय में 100 विकेटें लेने वाला खिलाड़ी ही नहीं बनेगा, चमत्कारिक रूप से 129 टेस्ट मैचों में 5,226 रन और 431 विकटें लेने जैसी उपलब्धियों को हासिल करने वाला पहला भारतीय आलराउंडर होगा.
भारतीय क्रिकेट टीम को सन 1983 में एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट श्रुंखला में विश्वविजेता बनाने का श्रेय कपिलदेव को है. विश्वकप में उनके व्दारा बनाने गये 175 रनों की ऐतिहासिक पारी क्रिकेट जगत में स्वर्णित अक्षरों में अंकित हो गयी है.
  • सुनील गावस्कर जीवनी
कपिल देव के बारे मे कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :-
Kapil Dev age :- ( age 56 ) ये तारीख 2015 के अनुसार है.
kapil dev height  :-  1.83 m ये जानकारी विकिपीडिया से ली गयी है.
kapil dev wife  :- कपिल देव की पत्नी का नाम रोमी भाटिया ( Romi Bhatia ).
kapil dev daughter  बेटी का नाम :-  कपिल देव के बेटी का नाम अमिया देव (Amiya Dev).
Kapil Dev Awards – कपिल देव पुरस्कार :-
* 1979-1980 – अर्जुन अवार्ड.
* 1982    – पदमश्री.
* 1983    – wisten cricketor of the year.
* 1991    – padma bhushan.
* 2002   – wisden indian cricketer of the century.
* 2010   – ICC cricket Hall of fame.
* 2013   – The 25 Greatest Global living Legends इन india By NDTV.
* 2013   – ck. Nayudu life time Achivement award Cannounceal.
कपिल देव की क्रिकेट में महत्वपूर्ण कार्य :-
कपिल के  कुल 131 टेस्ट मैच के बारे में :
बल्लेबाजी के बारे में : 5248 रन, 08 शतक और 27 अर्धशतक. ( 31.05 औसत से किये )
गेंदबाजी के बारे में : 434 विकेट, पारी में 05 विकेट 23 बार
कपिल देव के एकदिवसीय मैच के बारे में
कपिल के  कुल 225 टेस्ट मैच के बारे में :
बल्लेबाजी के बारे में : 3783 रन, एक शतक, 14 अर्धशतक
गेंदबाजी के बारे में :  253 विकेट, 1 बार पांच विकेट
  • पी. टी. उषा जीवन परिचय
  • दी वर्ल्ड कप हीरो युवराज सिंह
Note :-  आपके पास About Kapil Dev in Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे. धन्यवाद….  कुछ महत्त्व पूर्ण जानकारी biography of kapil dev के बारे में Wikipedia ली गयी है.
अगर आपको life history of Kapil Dev in Hindi language अच्छी लगे तो जरुर हमें whatsApp status और facebook  पर share कीजिये.
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